मानव अधिकारी अमेरिका

विश्वास मानिए जैसे ही महान अमेरीका के वर्तमान विदेश मंत्री जी के मुह से "मानवाधिकार उलंघन" शब्द निकला होगा, वैसे ही हिरोशिमा और नागासाकी नामक शहरों में मारे गए करोड़ों नागरिकों ने असमान से उसके मुह पर थूका होगा। इन दोनों शहरों पर जब अमेरिका द्वारा परमाणु बम का इस्तेमाल किया गया तो पूरे विश्व में इसकी थू थू हुई। युद्ध के जानकार लोगों ने जब उसके इस कृत्य पर सवाल उठाते हुए पूछा कि, " युद्ध में जापान तो वैसे भी हारने ही वाला था फिर आपने परमाणु बम का स्तेमाल क्यूँ किया। तो इस धूर्त अमेरिका ने जवाब दिया कि, "हम इस युद्ध को लंबा नहीं खींचना चाहते थे।" जबकि सच यह है कि इन बम धमाकों की धमक से वो पूरे विश्व को धमकाना चाहता था कि आज से पूरी दुनियां के हम चौधरी हैं। हमसे कोई पंगा नहीं ले सकता। थूका तो पूरे विश्व के मानवाधिकार संगठनो ने इसपर तब भी था जब विश्व युद्ध की आग में दुनियां जल रही थी और ये घटिया कैपिटलिस्ट देश, पूरे विश्व को हथियार बेंच रहा था।पर किया क्या जाये शुरू से ही महान अमेरिका के नेता मुह पर थुकवाने के आदी हो चुके हैं। 
मानवाधिकार का हवाला देने पर अमेरिका के मुह पर थूका तो "रेड इंडियन्स" ने भी होगा, जो अमेरिका के मूल निवासी थे। जिनका कत्लेआम करके महान अमेरिका नामक देश का निर्माण किया गया था। बिचारे निहत्थे या छोटे मोटे धनुष तीर भाला लिए रेड इंडियन पर इस धूर्त ने तोप का इस्तेमाल किया था। 
थूकते तो अश्वेत अफ्रीकी अमेरिकन आज भी इसके ऊपर हैं जब आए दिन उनपर नस्ली हमला होता है। लेकिन तब इसको शर्म भी नहीं आती, बस दूसरों के मसलों पर अपनी राय ठेलने पर ये व्यस्त रहता है।
देखा जाए तो आज भी अक्सर मानवाधिकार के उल्लंघन पर इराक इरान वियतनाम जैसे भुक्तभोगी देश इसपर थूकते रहते हैं पर जब जार्ज बुश अमेरिका का राष्ट्रपति था। तब इराक के एक पत्रकार "मुंतधर अल जैदी" ने अपने देश की दुर्गति करने के लिए उन पर मात्र थूका नहीं बल्कि अपने दोनों जूते निकाल कर और दूर से निशाना लगाकर उसके मुह पर मारे।
इस घटना पर एक प्रसिद्ध विद्वान के विचार सुनने वाले थे।
उन्होंने ने कहा, " हालाकि जूता मारकर विरोध जताने का तरीका मुझे एकदम पसंद नहीं है। लेकिन जब उस पत्रकार ने अपना पहला जूता निकाल कर बुश को खींच के मारा तो मेरा दिल किया कि काश...उसका जूता निशाने पर लगे जाके। यही खयाल दिल मे तब भी आया जब उसने दूसरा जूता मारा।" पर हाय रे किस्मत..वो दोनों बार बच गया।
इससे साफ़ पता चलता है कि इन अमेरिकी नेताओ ने दुनिया में मानवाधिकारों को लेकर कितना यश कमाया है।
वर्तमान अमेरिकी विदेश मंत्री जी की बात सुनकर दिल तो मेरा भी....... किया लेकिन छोड़ो! हम यहां बैठे हैं और वो वहाँ है, इसलिए बच जाएगे। वैसे भी हम कोई एकलव्य तो हैं नहीं की कुत्ते का मुँह,उसको बिना क्षति पहुंचाए ही अपने बांणो से भर दें और उसका भौंकना बंद कर दें। 

                      ©️ दीपक शर्मा 'सार्थक'


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