सब पढ़े सब बढ़े
हम निरन्तर ही प्रगति के साथ पथ पर बढ़ रहे हैं !
प्राथमिक शिक्षा सभी को प्राप्त हो मंशा यही थी
और संसाधन बहुत सीमित थे पर हिम्मत बड़ी थी
छे से चौदह साल के बच्चों को को भी शिक्षित था करना
और आलोचक की नजरें भी सभी हम पर टिकी थी
किन्तु हम शिक्षक सदा ही लक्ष्य के प्रति दृढ़ रहे हैं
हम निरंतर ही प्रगति के साथ पथ पर बढ़ रहे हैं !
ये समय तकनीक का है, हम नहीं इसमें भी पीछे
प्रेरणा दीक्षा या निष्ठा को परस्पर हम हैं सीखे
स्वप्न आखों में लिए और लक्ष्य से आगे है जाना
बनके हम सब बागवां इस नस्ल को निज तप से सींचे
नित नई संभावनाओं से भी ऊपर चढ़ रहे हैं
हम निरंतर ही प्रगति के साथ पथ पर बढ़ रहे हैं !
नव कपोलो की तरह बच्चों का बचपन खिल रहा है
जो कुपोषण को मिटा दे, एम.डी.एम वो मिल रहा है
हर किलोमीटर पे विद्यालय खुले बच्चों की खातिर
ज्ञान के सूरज के आगे अब अंधेरा ढल रहा है
'सार्थक' हो सीखना कुछ इस तरह सब पढ़ रहे हैं
हम निरंतर ही प्रगति के साथ पथ पर बढ़ रहे हैं !
लाख बाधाएं हमारे मार्ग को दुर्गम बनाएं
हम निरंतर ही प्रगति के साथ पथ पर बढ़ रहे हैं !
©️ दीपक शर्मा 'सार्थक'
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