दिल की बात

इस दुनियां में हर व्यक्ति अपने दिल की बात बोलना चाहता हैं। लेकिन समय बदलने के साथ-साथ लोगो ने अपने दिल की बात कहने का तरीका भी बदल दिया है। आजकल लोग किस प्रकार से अपने दिल की बात बोलते हैं, आज आपको बताता हूं-
(1)मज़ाक़-मज़ाक में दिल की बात- आधुनिक दुनियां की सबसे ज्यादा आबादी आजकल मज़ाक में दिल की बात बोलती है। ऐसा करना लोगों की मजबूरी भी बन गई है। असल में आधुनिक दुनियां हर व्यक्ति( खास कर ऐसे लोग जो अंदर ही अंदर दगे जा रहे हैं कि वो बहुत बुद्धिमान हैं, और उनमे कोई कमी हो ही नहीं सकती है) अपनी आलोचना नहीं सुन सकते। ऐसे में आधुनिक सामाज में सच बोलने का एक नया चलन चला है, यानी मजाक मजाक में दिल की बात बोल दो, जिसे सुनकर सामने वाला बुरा ना मान पाए।
ये कुछ वैसा ही है जैसा 'कतील शिफ़ाई' ने अपने एक शेर में कहा है-
"इस तरह कतील उनसे बर्ताव रहे अपना 
वो भी न बुरा माने,दिल का भी कहा करना"
मजाक में कहा गया सच सामने वाले को दुविधा में डाल देता है। और इस तरह सच बोलने वाले व्यक्ति के सम्बंध अमुक व्यक्ति से खराब नहीं होते।
(2) घुमा फिरा कर बोली गई दिल की बात - इस तरह दिल की बात बोलने वाले व्यक्ति बहुत ही घाघ होते हैं। वो बात को इतना घुमा फिरा कर बोलेंगे की सुनने वाला समझ ही न पाए कि ये आखिर कह क्या रहा है। ऐसे व्यक्ति जिससे अपने दिल की बात बोलना चाहते हैं या किसी की आलोचना करना चाहते हैं तो पहले उसकी खूब तारीफ करेंगे,जैसे- 
"आप बहुत बुद्धिमान हैं..आपकी तो बहुत इज्जत है सामाज में।किंतु आपको अपने फलाने व्यवहार को लेकर आत्ममंथन की जरूरत है।"
यहां इस उदाहरण से समझा जा सकता है। कैसे बात को गोल-गोल घुमा कर मुद्दे की बात की गई है। लेकिन ये भी सच है कि इस तरह से अपने दिल की बात बोलने वाले व्यक्ति बस अपनी आत्मसंतुष्टि के लिए बोलते हैं। सामने वाला उनका सच समझा है या नहीं। इससे उनकी सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ता है।
(3) क्षमा के साथ बोली गई दिल की बात- ये अपने दिल की बात बोलने का आधुनिक फेसबुकिया तरीका है। ऐसी दिल की बात को ज्यादातर लिख कर बोला जाता है। यानी जिससे अपने दिल का हाल बोलना है उसकी पहले जी भरकर मैसेज में बुराईयां लिखो। फिर अंत में लिखो कि,  "मेरी इस बात से यदि किसी के कलेजे, हृदय या गुर्दे को चोट पहुची है तो मैं क्षमा चाहता हूं।" 
वैसे भी ऐसा लिखने वाले को पहले से पता होता है कि पढ़ने वाला जिसकी बुराई उसने लिखी है, वो उसे क्षमा नहीं करने वाला। और ना ही वो उनसे क्षमा मांगने के लिए मरा ही जा रहा है लेकिन बस खाना पूर्ति के लिए ये क्षमा वाली ढकोसलेबाजी लिखता है।
(4) इशारों-इशारों में बोली गई दिल की बात- इस तरह इशारों इशारों में अपने दिल की बात बोलने का चलन इस सोशल मीडिया के जमाने में अपने चरम पर है। इसमें आराम ये है कि इस तरह अपने दिल की बात बोलनी नहीं पड़ती, बस आपके दिल मे किसी को लेकर जो भाव हैं उससे मिलता जुलता कोई वीडियो या मैसेज अपने ह्वाटसऐप के स्टैटस पर लगा दो। और आपके दिल में क्या चल रहा है ये पूरे जग को बता दो। व्यक्तिगत तौर पर कहूँ तो अपने दिल की बात बताने का मुझे ये सबसे निम्न स्तर का तरीका लगता है। इसमे कोई प्राइवेसी नहीं होती। आपको जिससे अपने दिल की बात बतानी है, उसके साथ-साथ स्टैटस देखने वाले हर व्यक्ति के आगे आप अपना रोना रोते हैं। इसका सबसे ज्यादा प्रयोग सड़कछाप आशिक लोग करते हैं। एक से एक ज़हर बुझे दर्द भरे गाने अपने स्टैटस पर लगाकर इशारों-इशारों में अपना दर्द बयां करते हैं।
(5) सीधी सपाट बोली गई दिल की बात- ये अपने दिल की बात बोलने का स्पष्ट और सीधा सा तरीका है। 'यानी सीधी बात नो बकवास'। जो दिल में हो वो फटाक से सामने वाले के मुँह पर दाग दो। इसे मैं इजराइली तरीका मानता हूं।जैसे दुनियां के बाकी देश जबतक प्लानिंग बनाते हैं तब तक इजराइल दुश्मन देश पर मिसाइल दाग चुका होता है। वैसे ही इस तरह दिल की बात बोलने वाले लोग ज्यादा सोचने समझने में नहीं पड़ते। उनकी कौन सी बात से सामने वाले का कलेजा छिल गया है, इससे उनकी सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ता। बस जो दिल मे आया वो बक देते हैं। लेकिन इतना जरूर है, ऐसे लोग दिल के साफ होते हैं।
खैर अपने दिल की बात को बोलने के ऐसे और भी कई तरीके हैं। फिलहाल इतने से ही काम चलाइये..बाकी फिर कभी!

                      ©️ दीपक शर्मा 'सार्थक'

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