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Showing posts from November, 2021

सब पढ़े सब बढ़े

लाख बाधाएं हमारे मार्ग को दुर्गम बनाएं  हम निरन्तर ही प्रगति के साथ पथ पर बढ़ रहे हैं ! प्राथमिक शिक्षा सभी को प्राप्त हो मंशा यही थी  और संसाधन बहुत सीमित थे पर हिम्मत बड़ी थी  छे से चौदह साल के बच्चों को को भी शिक्षित था करना  और आलोचक की नजरें भी सभी हम पर टिकी थी  किन्तु हम शिक्षक सदा ही लक्ष्य के प्रति दृढ़ रहे हैं  हम निरंतर ही प्रगति के साथ पथ पर बढ़ रहे हैं ! ये समय तकनीक का है, हम नहीं इसमें भी पीछे  प्रेरणा दीक्षा या निष्ठा को परस्पर हम हैं सीखे  स्वप्न आखों में लिए और लक्ष्य से आगे है जाना  बनके हम सब बागवां इस नस्ल को निज तप से सींचे नित नई संभावनाओं से भी ऊपर चढ़ रहे हैं  हम निरंतर ही प्रगति के साथ पथ पर बढ़ रहे हैं ! नव कपोलो की तरह बच्चों का बचपन खिल रहा है  जो कुपोषण को मिटा दे, एम.डी.एम वो मिल रहा है  हर किलोमीटर पे विद्यालय खुले बच्चों की खातिर  ज्ञान के सूरज के आगे अब अंधेरा ढल रहा है  'सार्थक' हो सीखना कुछ इस तरह सब पढ़ रहे हैं  हम निरंतर ही प्रगति के साथ पथ पर बढ़ रहे हैं ! लाख बाधाएं हमारे म...

दिल की बात

इस दुनियां में हर व्यक्ति अपने दिल की बात बोलना चाहता हैं। लेकिन समय बदलने के साथ-साथ लोगो ने अपने दिल की बात कहने का तरीका भी बदल दिया है। आजकल लोग किस प्रकार से अपने दिल की बात बोलते हैं, आज आपको बताता हूं- (1)मज़ाक़-मज़ाक में दिल की बात- आधुनिक दुनियां की सबसे ज्यादा आबादी आजकल मज़ाक में दिल की बात बोलती है। ऐसा करना लोगों की मजबूरी भी बन गई है। असल में आधुनिक दुनियां हर व्यक्ति( खास कर ऐसे लोग जो अंदर ही अंदर दगे जा रहे हैं कि वो बहुत बुद्धिमान हैं, और उनमे कोई कमी हो ही नहीं सकती है) अपनी आलोचना नहीं सुन सकते। ऐसे में आधुनिक सामाज में सच बोलने का एक नया चलन चला है, यानी मजाक मजाक में दिल की बात बोल दो, जिसे सुनकर सामने वाला बुरा ना मान पाए। ये कुछ वैसा ही है जैसा 'कतील शिफ़ाई' ने अपने एक शेर में कहा है- "इस तरह कतील उनसे बर्ताव रहे अपना  वो भी न बुरा माने,दिल का भी कहा करना" मजाक में कहा गया सच सामने वाले को दुविधा में डाल देता है। और इस तरह सच बोलने वाले व्यक्ति के सम्बंध अमुक व्यक्ति से खराब नहीं होते। (2) घुमा फिरा कर बोली गई दिल की बात - इस तरह दिल की बात बोल...