नभ नम नयनो से बह निकले
सुर संत सकल संताप भरे
मृत मेरु, मनुज दुख से मचले
अप्कर्म अधम की वृद्धि हुई
दुष्कर्म दोष विस्तार हुआ
फिर मध्यरात्रि अष्टम भादों
धरती पे कृष्ण अवतार हुआ
कारागृह कलि कृत नष्ट हुआ
बंधन स्वतंत्र वसुदेव हुए
दुर्गम गोकुल पथ सुगम हुआ
यशुदा के भाग्य भी उदय हुए
फिर पाप मुक्त धरणी करके
श्रुति कर्मयोग विज्ञान दिया
और धर्म ध्वजा स्थापित कर
रण में गीता का ज्ञान दिया
● दीपक शर्मा 'सार्थक'
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