मेरे शहर में !

मेरे शहर में !
ज़मीन तो महेंगी हैं
ज़मीर पर सस्ता है
ग़रीब ही बेबस है
अमीर तो हंसता है

मेरे शहर में !
उससे ही ख़तरा है
करीब जो बसता है
चोरो की चांदी है
शरीफ ही फंसता है

मेरे शहर में !
सड़के हैं टूटी
नाली भी खस्ता है
नेता से बोलो तो
गाली वो बकता है

मेरे शहर में !
सबको ही जल्दी है
हर कोई तगड़ा है
छोटी सी बातो में
हो जाता झगड़ा है
मेरे शहर में !

      © दीपक शर्मा 'सार्थक'

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