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क्या जानोगे !

और बताओ क्या जानोगे  पास तो आओ क्या जानोगे ! कहते हो सब जान गए हो बस मगरुर हो, क्या जानोगे ! मैं ही जब अंजान हूं खुद से फिर तुम मुझको क्या जानोगे ! चेहरा देख के दर्द न जाना कह भी दें तो क्या जानोगे ! जब सारा जग जान गया है तब जाना तो क्या जानोगे ! दर्द में जो खुल के हंसता हो उसके दर्द को क्या जानोगे  जान है जबतक जान लो मुझको जान गई तो क्या जानोगे !              © दीपक शर्मा ’सार्थक’           

तब देखेंगे

शोख़ अदाएं तब देखेंगे प्यार दिखाए तब देखेंगे बहक गया हूं नशे में यारों कोई उठाए तब देखेंगे ! सुनता हूं वो बहुत है अच्छा पास तो आए तब देखेंगे ! ख़ता भी मेरी, रूठा भी मैं कोई मनाए तब देखेंगे ! चोर घुसे हैं घर में, कोई  शोर मचाए तब दिखेंगे! वो देखो वो डूब रहा है डूब ही जाए तब देखेंगे ! आग लगी है शहर में अपने कोई बुझाए तब देखेंगे ! घड़ा पाप का अभी है खाली फूट ही जाए तब देखेंगे ! रिश्ते में दरार है आई टूट ही जाए तब देखेंगे !            © दीपक शर्मा ’सार्थक’