प्रेम का प्रोटोकॉल
प्रेम का प्रोटोकॉल निभाना !
रही तड़प न पहले जैसी
मिलने और बिछड़ने में अब
महज़ दिखावा, लफ़्फ़ेबाजी
लगे हैं इंप्रेस करने में अब
नहीं समर्पण इक दूजे प्रति
लगता है जंजाल पुराना
प्रेम से बढ़कर है दुनियां में
प्रेम का प्रोटोकॉल निभाना ! (१)
अहम भरा है हृदय में जबतक
प्रेम कहां रह पाएगा
वहम का पर्दा आंखों पे यदि
सत्य कहां कह पाएगा
लगी प्रतिस्पर्धा आपस में
केवल अपना हाल बताना
प्रेम से बढ़कर है दुनियां में
प्रेम का प्रोटोकॉल निभाना ! (२)
अधिकारों के लिए हैं लड़ते
प्रेम का लेकर नाम यहां पर
स्वार्थ के खातिर प्रेम को अक्सर
करते हैं बदनाम यहां पर
हृदय अस्थिर खुद का जबकि
चाह रहे हड़ताल कराना
प्रेम से बढ़कर है दुनियां में
प्रेम का प्रोटोकॉल निभाना ! (३)
© दीपक शर्मा ’सार्थक’
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