ऐसा देश है मेरा भाग 7
और शुक्र डूब गए। इसी के साथ सारे शुभ कार्यों पर बड़ा वाला फुल स्टॉप लग गया। आखिर शुक्र का ऐसा क्या प्रभाव है कि उसके डूब जाने भर से सारे शुभ कार्यों को उसके उगने तक के लिए टाल दिया जाता है। इसका जलवा ये है की अति आतुर लोगों के शुभकार्यों को पंडित लोग अपनी पंडाताई झाड़ के किसी और समय का तो उनके मुहूर्त निकाल देते हैं लेकिन शुक्र डूबने के बाद वो भी मजबूर हो जाते हैं।और उसके उदय होने तक का इंतजार करने की सलाह देते हैं। इसका उत्तर तो खैर भारतीय पौराणिक ग्रंथों में मिल ही जाता है। जिन्होंने पढ़ रखा है उनको मालूम भी होगा। लेकिन मुझे इसकी एक बात जरूर अचरज में डालती है की इन कथाओं में कुछ तो विशेष प्रकार का आकर्षण जरूर है। जिसका प्रभाव आजतक भारतीय जनमानस की परंपराओं में देखने को मिलता है। खासकर इन पौराणिक कथाओं से जुड़े तर्को को जब तार्किक दृष्टि से पढ़ो तो और मजा आता है। शुक्र से जुड़ी इस मान्यता को वामन अवतार के समय से जोड़ कर देखा जाता है। उस दृश्य की कल्पना करिए! राजा बलि गुरु शुक्राचार्य के सहयोग से शत यज्ञ करके इंद्र का पद प्राप्त कर चुके थे। लेकिन अचानक एक बौना बच्चा तीन पग भूमि दान स्व...