अस्त अफगानिस्तान
खैर अब जब तालिबान ने पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है। और भारतीय मीडिया हफ्ते भर से यही खबर चीख चीख के बता रहा है।ऐसे मे मेरे दिल मे बार-बार आज से आठ साल पहले पढ़ी the kite runner ही घूम रही है।
ये बात तो आश्चर्यचकित करने वाली ही है कि एक तरफ तो एयरपोर्ट और बोर्डर पर अफगानिस्तान की अवाम देश छोड़ने के लिए छटपटा रही है वहीँ दूसरी तरफ तालिबान
अधिकतर प्रांतों पर बिना एक गोली चलाए ही कब्जा कर लेता है। कई प्रांतों की अवाम तो उनका पलकें बिछाकर स्वागत कर रही है। ये हैरत में ही तो दिलाने वाली बात है।
पर ऐसा क्यूँ हो रहा है। इसका सीधा सा उत्तर यही है कि तालिबान में पश्तून कबीले का दबदबा है। जो कि सुन्नी मुसलमान हैं। और अफगानिस्तान में बहुसंख्यक हैं।
और जो तालिबान के डर से देश छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं वो 'हजारा' और इसी तरह के मुसलामान हैं जो कि 'शिया' है और अफगानिस्तान में अल्पसंख्यक हैं।
The kite runner ऐसे ही 'हजारा' अल्पसंख्यक मुस्लिम बच्चे का दर्द बयां करती है। किस तरह बहुसंख्यक सुन्नी तालिबानी, 'हजारा' जैसे अल्पसंख्यक समुदाय के प्रति घिनौना व्यावहार करते हैं, ये पढ़कर आप अंदर तक हिल जाएंगे। किस तरह उनके छोटे छोटे बच्चों का यौन शोषण करके ये तालिबानी अपनी हवस मिटाते हैं।उनकी औरतों का बलात्कार करके उनका सरेआम कत्ल करके ये खुशी मनाते हैं।
अफगानिस्तान का एक एक खेल है जिसमें पतंग उड़ाते समय जब किसी की पतंग कट जाती है तब छोटे छोटे बच्चे उस पतंग को लूटने के लिए दौड़ते हैं। उन्हीं बच्चों में एक 8 साल का ' 'हजारा' समुदाय का बच्चा है जो सबसे तेज पतंग लूटता है। 'the kite runner' उसी बच्चे की दो पीढ़ी की कहानी है। उस छोटे मासूम से बच्चे का तालिबानी मानसिकता वाले लोग क्या हाल करते हैं। किस तरह उसके शारीर के साथ बलात्कार करते हैं कैसे उसकी आत्मा में इतना अंधेरा भर देते हैं। किस तरह उस मासूम को एक कृत्रिम बिना रूह वाला व्यक्ति बना देते हैं। किस तरह अफगानिस्तान का अल्पसंख्यक समुदाय तालिबानियों की क्रूरता को स्वीकार करके जी रहा है। the kite runner उसी की कहानी है।
इस समय जब अमेरिका अपना हित देख रहा है और अफगानिस्तान से बोरिया बिस्तरा लेके निकल गया है। चीन अपनी अफगानिस्तान से होकर गुजरने वाली 'सिल्क रोड' के लालच में तालिबानी सरकार को मान्यता देने पर अमादा है।पाकिस्तान पहले से ही तालिबान के समर्थन में है और भारत के हाथ मे कुछ नहीं है।अब जब पूरा विश्व अपना अपना हित साधने में लगा है।ऐसे में उस मासूम से पतंग लूटने वाले बच्चे की फ़िक्र किसे है।
अब अफगानिस्तान मे नशेड़ी तालिबान है, ढ़ेर सारी अफीम है, शोषण करने के लिए 'हजारा' जैसे अल्पसंख्यक समुदाय हैं,और एक मतलबी विश्व है जो अब दर्शक बनके रह गया है।
©️ दीपक शर्मा 'सार्थक'
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