छोटी सी बात !
बात उन दिनों की है जब हम ताज़ा-ताज़ा जवान हुए थे।और वो जवानी ही किस काम की जो गांव से शहर जाने के लिये ना चर्राने लगे, इसलिये तमाम आधुनिक युवाओं की तरह हम भी घर वालों को "आई.ए.स" की तैयारी के नाम का चूरन चटा कर अपने नज़दीकी शरह लखनऊ में किराये पर रुम लेकर रहने लगे। वही पर मेरी मुलाकात पूर्वांचल के एक विशेष जिले के रहने वाले एक चलते फिरते साईनाइड टाइप के व्यक्ति से हुई। वो साहब एक नेता जी से बहुत प्रभावित थे। दिन रात उनका गुणगान मेरे से करते रहते। उन्होने बताया की उनके यहाँ के नेता जी इतने जबरदस्त हैं की एक बार उन्होने अपनी रैली में भाषण देते हुए अल्पसंख्यक सम्प्रदाय को संबोधित करते हुए कह दिया था की " कृपया आप लोग मुझे वोट ना दें..अगर मुझे पता चला की किसी अल्पसंख्यक भाई ने मुझे वोट दिया है तो मै बैलेट बाक्स को पहले गंगाजल से धुलवाउंगा..उसके बाद वोटों की गिनती होगी।" इसी तरह दिन रात बहुत मेहनत करके वो मेरे आशिक़ मिज़ाज शायर दिमाग में अपने अन्दर का ज़हर घोल कर ये समझाने में कामयाब रहे की मै एक "हिन्दू" हूँ। लेकिन वो साहब यही तक नहीं रुके।उनके परमहंसो वाले प्रवचन ...