पार्थ सुनो अब युद्ध करो

इस अन्तर्द्वन्द्व को रूद्ध करो
हे पार्थ सुनो अब युद्ध करो !

संलिप्त न होना कर्मो में
निज अन्तर्मन भी विदेह रहे
कर्तव्य के पथ पर बढ़ता जा
खुद पर ना कभी संदेह रहे
ले प्रण, हर छड़ इस जीवन को
नव चेतन से तुम युक्त करो
हे पार्थ सुनो अब युद्ध करो!

प्रारब्ध में जो कुछ था उसका
किंचित भी मोह न करना तू
कर्मो का फल क्या मिलता है
इस उलझन में ना पड़ना तू
सारी दुविधा मुझको देकर
खुद को जड़ता से मुक्त करो
हे पार्थ सुनो अब युद्ध करो!

ये जन्म-मृत्यु  का चक्र सदा
ऐसे ही चलते जाता है
संसार में शाश्वत कुछ भी नहीं
जो आता है वो जाता है
ये चक्र नहीं बस में तेरे
इस मार्ग को ना अवरुद्ध करो
हे पार्थ सुनो अब युद्ध करो!

इस अन्तर्द्वन्द्व को रूद्ध करो
हे पार्थ सुनो अब युद्ध करो !

          ● दीपक शर्मा 'सार्थक'

Comments

  1. दीपक भाई आप की सृजन शक्ति पर हमें गर्व है।

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