मजदूरी का पता नहीं
पर मजदूर बदल गये हैं
अब ये टाई पहने मजदूर
कंधे पर भारी बैग लादे
पब्लिक बसों के धक्के खाते
टारगेट पूरा करने को भागे
कोई पीछे कोई आगे
बिचारे ये टाई पहने मज़दूर
चलनी में पानी भरने को मजबूर
प्रच्छन्न बेरोजगारी से होते चूर-चूर
अपने वजूद से होते दूर
बिचारे ये टाई पहने मजदूर
अब भले हाथ में हथौड़ा नहीं
कोई पत्थर तोड़ा नही
पर बेबसी ने इनको छोड़ा नही
आराम इनको थोड़ा नहीं
बिचारे ये टाई पहने मजदूर!!!
● दीपक शर्मा 'सार्थक'
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