Posts

Showing posts from August, 2025

किस काम का सावन

रह गया है किस काम का सावन  है प्यारे बस नाम का सावन नज़र नहीं आते पेड़ों पर पहले जैसे झूले व्यस्त हैं सब दुनियादारी में रिश्ते नाते भूले बने विदूषक फिरते हैं अब इंस्टा पर ये नचनिये  कजरी और मल्हार के बदले रैप में गाली सुनिए हरियाली और तीज है गायब किसको याद करेगा सावन ! रह गया है ..... पुरवाई में ज़हर घुला है धुंधला हुआ नज़ारा  नहीं भीगता बारिश में अब बच्चा कोई बेचारा गांवों में चौपाल न लगती दूषित हुई फुहारें द्वेष लिए फिरते हृदयों में कैसे कोई उबारे बंजर अंतःकरण को आखिर कब तक यूं सींचेगा सावन ! रह गया है ....             © दीपक शर्मा ’सार्थक’