मै भूल जाता हूं
मैं भूल जाता हूं.. चेहरे और उनके नाम उनकी अवसरवादी सधी सपाट बातें यहां तक कि पहचान भी ! मुझे याद रह जाते हैं, कोई बेमकसद सा अहसास हल्की सी छुवन कुछ कोरी कल्पनाएं यहां तक कुछ अधूरे अरमान भी हां ! ये सच है कि मै भूल जाता हूं .. जो साथ हैं उन्हें या सच कहूं जो बस दावा करते हैं साथ होने का, दिखावा करते हैं अपना होने का, और वो बाजारू जुबान भी !! मुझे याद रह जाते हैं कुछ बेसबब से किस्से, बिना वजह वाले रिश्ते, वो जो दिल को छू लें भले हो कोई शख्स अंजान भी !!! © दीपक शर्मा ’सार्थक’